मिट्टी का है तन
मस्ती का है मन
छण भर का है ये जीवन
इसलिए बना ले अपनी कोई पहचान !
जीवन तो है बहती दरिया
इसमे उठता है सागरो सा तुफान
पता नही कब ये सैलाब थम जाएगा
इसलिए बना ले अपनी कोई पहचान !
कर जा कोई एसा काम
हर माँ कहे तु तो हे मेरी संतान
पता नही कब लग जाए तुझ पे पूर्ण विराम
इसलिए बना ले अपनी कोई पहचान !
Saturday, September 15, 2007
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